१५ अगस्त २०११
15 अगस्त को 13:49 बजे · नापसंद करें ·
१६ अगस्त २०११
16 अगस्त को 01:44 बजे · पसंद करें ·
१७ अगस्त २०११
17 अगस्त को 09:36 बजे · नापसंद करें ·
जन गण अन्ना..जन मन अन्ना
जन्तर मन्तर पर उस दिन
लाखो लाख जब चहक रहे थे
लाखो लाख जब बह्क रहे थे
चारो ओर सपने ही सपने महक रहे थे
चिपका रहा टी बी से मॆ भी
आंख से सांसे ले रहा था
कान से नारे लगा रहा था
उथल पुथल मची थी मन मे
सब कुछ वही वही था मंजर
सोचा करता था जो मॆ अक्सर
जन्तर मन्तर घर के अन्दर
मन के अन्दर जन्तर मन्तर
जहां भी देखो जन्तर मन्तर
जहां भी जाओ जन्तर मन्तर
अब तक जाने कहां छुपे थे
बापू के ये सारे बन्दर
जिससे पूछा उसमे सबने
मेरे जॆसे जाने कितने
अनजानो को जाना मॆने
देश को यूं पहचाना मॆने
सब के सब यही सोच रहे थे
काश वहा पर मॆ भी होता
जिस तट को अन्दर ही अन्दर
काट चुकी हॆ धार नदी की
उस पर खडे काग्रेसी तरुवर
पांव कांप रहे जिनके थरथर
रास्ता रोकेंगे आंधी का
रास्ता रोकेंगे गांधी का
जेल द्वार से इंडिया गेट तक
लाखो लाख फ़िर चहक रहे हॆ
लाखो लाख फ़िर बह्क रहे हॆ
सपने ही सपने महक रहे हॆ
अबकी हम शामिल हॆ उनमे
जनम नया लिया हॆ तुझमे
18 अगस्त को 00:38 बजे · नापसंद करें · · साझा करें
१९ अगस्त २०११
19 अगस्त को 07:28 बजे · नापसंद करें ·
20 अगस्त को 08:43 बजे · नापसंद करें ·
नए नायको को जन्म देने के लिये ऎठ रही हॆ भारत माता की कोंख…
...
आप अन्ना पर यकीन नही करते हो..कोई बात नही...
भूषणो पर यकीन नही करते हो...कोई बात नही....
भ्रष्टाचार का दीमक देश की जडों को खा रहा हॆ...
इस बात पर यकीन करते हॆ ये बडी बात हॆ...
भ्रष्टाचार का पोषण करने वाली सरकार अंग्रेजो की नीति
फ़ूट डालो ऒर शासन करो की लीक पर चलती हुई
इसे कमजोर करने की कोशिश कर रही हॆ..
.इस बात पर यकीन करते हॆ ये बडी बात हॆ...
१८५७ में बिहर के दानापुर मे जो सॆनिक विद्रोह हुआ था..
.वह अंग्रेजों के विरोध से अधिक
््चमडे के उस कारतूस के खिलाफ़ था जिसे दांत से खिंचना पड्ता था...
लेकिन उसने मंगल पांडे ऒर जाने कई नायक दिये....
ऒर अंत मे वह हूकूमत की जडो में मट्ठा साबित हुआ...
अतीत की अपनी ही गलतियो की दुहाई न दे..
हमारी पूंजी हॆ बेहतरी की उम्मीद
घडियो में वक्त बदल चुका हॆ..
.बद्ल चुकी हॆ कलेन्डर मे तारीख
अपने नए नायको को जन्म देने के लिये
ऎठ रही हॆ भारत माता की कोंख…
By: Nilay Upadhyay
20 अगस्त को 13:25 बजे · पसंद करें · · साझा करें
कालू बोले
बाबा जाओ
शिविर लगाकर जोग सिखाओ
राजनीति हमको करने दो
बहुत कर चुके तुम गुरुआई
लेकिन बात समझ ना आई
हमको अपना गुरू बनाओ
बेटी बोट हॆ जात की जन्नत
जाति वाद का बिगुल बजाओ
ऒर बदल लो अपनी किस्मत
अपराधी को यार बनाऒ
दो चार नरसंघार कराओ
पेट हिलाकर कुछ ना होगा
क्या खाके बीमार लडेंगे.....बाबा जाओ
चूहे जितना चीं चीं कर ले
असर ना होगा बिल्ली पर
जनता ने जिसे चुन कर भेजा
वे जाएंगे जेल के अन्दर
जाकर के अन्ना से कह दो
लोकपाल से कुछ ना होगा
स्टॆन्डिग कमेटी के हॆ मेंम्बर
साथ हमारे भाई समर हॆ,,
ऒर कॊन हॆ खबर तुम्हे हॆ
सांस फ़ुला के हम रख देंगे...बाबा जाओ
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22 अगस्त को 23:59 बजे · नापसंद करें ·
23 अगस्त को 11:18 बजे · नापसंद करें ·
जनता को शत शत नमन
मॆं बहुत दुखी था आज...
खाना खाने का मन नही था..
मगर पत्नी ने कहा तो
खा लिया..
मॆ नही चाहता था कि दिखू.
दुखी हूं ऒर नही दिखा...
मेरा दुख उपजा था अन्ना हजारे की उस आवाज से
कि नॊ दिन उपवास के बाद भी मॆ ठीक हू..
अभी ऒर नॊ दिन.
.मॆ रह सकता हूं ऎसे ही..
नॊ बजे मॆ घर से बाहर सड्क पर निकला..
ऒर लोगो से मिला..लोगो के चेहरे पर था मेरा दुख
ओर मॆ खुश हो गया.
सबका कहना था हम मालिक हॆ...
ऒर ये नॊकर..
नॊकरो की ये मजाल...नॊकरो के लिए
अभी ऒर कानून बनाने होंगे..
उनसे काम लेने..रखने ऒर हटाने के कानून
अब आराम से सोने जा रहा हूं...
इस देश की जनता को शत शत नमन
24 अगस्त को 23:21 बजे · नापसंद करें ·
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शनिवार को 14:48 बजे · पसंद करें ·
यह जीत
ये कोई
तुलना की जगह नही
तुलना की कोई वजह भी नही
मगर अन्ना का आन्दोलन ऒर अन्ना की जीत
महात्मा गांधी से बडी हॆ....
दुश्मन विदेशी हो तो
लडना आसान होता हॆ..घर के हो
तो पसीने छूट जाते हॆ....
अन्ना ने घर के दुश्मनो से ये लडाइ जीती हॆ
शनिवार को 22:37 बजे · नापसंद करें ·