सोमवार, 29 अगस्त 2011

अन्ना का आन्दोलन मे १३ दिन की डायरी face book par


१५ अगस्त २०११

दिल्ली के लादेन जी

लेन जी
देन जी
दिल्ली में लादेन जी

पाकिस्तान के नेता जॆसे
लड्ते आतंकवाद से
वॆसे लडेंगे हिन्द के नेता
देश मे भ्रस्टाचार से

दूध नही
फ़ेन जी
दिल्ली के लादेन जी

लीप पोत लो जो उखडा हॆ
सब सुधार लो जो बिगडा हॆ
चिट्ठी तेरी..कागद तेरा
देखो बन के कफ़न खडा हॆ

अब ना चढेगी
काठ की हाडी
एन केन प्रकारेन जी

कोई राज बताओ ऎसा
जिससे परदा नही ह्टा हो
कोई झूठ बताऒ ऎसा
जिसने सच को हरा दिया हो

जगह न दोगे
वजह न दोगे
बोल किधर हॆ जेल जी

15 अगस्त को 13:49 बजे · नापसंद करें ·

१६ अगस्त २०११

ब्यवस्था
ब्यवस्था
जीवन से बाहर निकल
जब अब्यवस्था में समा जाय
तो....
ब्यवस्था को
जीवन से बाहर निकाल देना चाहिए।

16 अगस्त को 01:44 बजे · पसंद करें ·

१७ अगस्त २०११

अन्ना जेल के बाहर हॆ


लोकतंत्र मे जनता का...
देखो ये अधिकार
अन्ना जेल के बाहर हॆ,
अन्दर हॆ सरकार

सांस फ़ंसी हॆ संसद की...
.
सडक पे बना कानून
चुन कर आए सोंच रहे हॆ,
कट गई उनकी दुम

बन्दूके घायल हुई
चुप हुए मक्कार
कद से छोटा हो गया,
कांग्रेस का दरबार

17 अगस्त को 09:36 बजे · नापसंद करें ·

१८ अगस्त २०११

जन गण अन्ना..जन मन अन्ना

जन्तर मन्तर पर उस दिन

लाखो लाख जब चहक रहे थे

लाखो लाख जब बह्क रहे थे

चारो ओर सपने ही सपने महक रहे थे

चिपका रहा टी बी से मॆ भी

आंख से सांसे ले रहा था

कान से नारे लगा रहा था

उथल पुथल मची थी मन मे

सब कुछ वही वही था मंजर

सोचा करता था जो मॆ अक्सर

जन्तर मन्तर घर के अन्दर

मन के अन्दर जन्तर मन्तर

जहां भी देखो जन्तर मन्तर

जहां भी जाओ जन्तर मन्तर

अब तक जाने कहां छुपे थे

बापू के ये सारे बन्दर

जिससे पूछा उसमे सबने

मेरे जॆसे जाने कितने

अनजानो को जाना मॆने

देश को यूं पहचाना मॆने

सब के सब यही सोच रहे थे

काश वहा पर मॆ भी होता

जिस तट को अन्दर ही अन्दर

काट चुकी हॆ धार नदी की

उस पर खडे काग्रेसी तरुवर

पांव कांप रहे जिनके थरथर

रास्ता रोकेंगे आंधी का

रास्ता रोकेंगे गांधी का

जेल द्वार से इंडिया गेट तक

लाखो लाख फ़िर चहक रहे हॆ

लाखो लाख फ़िर बह्क रहे हॆ

सपने ही सपने महक रहे हॆ

अबकी हम शामिल हॆ उनमे

जनम नया लिया हॆ तुझमे

जन गण अन्ना..जन मन अन्ना

जन गण अन्ना..जन मन अन्ना

18 अगस्त को 00:38 बजे · नापसंद करें · · साझा करें

१९ अगस्त २०११

ये मंहगाई कहां से आई

ये मंहगाई कहां से आई...
बोलो भाई

खेत से आई,
मेड से आई
या उतर कर पेड से आई....बोलो भाई
किसने इसकी फ़सल लगाई...बोलो भाई

पचास का मोबॆल भ्रराया
बीस काट लिया गाना मे
तीन किलो गॆस कम था
बबुआ मर गया थाना मे

कहां गया
कपास हमारा
किस रूई की बनी रजाई..बोलो भाई
कहां ठिकाना इस डायन का.....बोलो भाई

ऎसी लूट मची हॆ भईया
बॆल बेच रहे कह के गईया
पीर चढी थी...उब चुके थे
अब तो आगे मॊत खडी हॆ

बारिश बारिश..
धूप दिखा के
स्यारो ने हॆ रची सगाई... बोलो भाई
संसद ने की गोद भराई.. बोलो भाई

19 अगस्त को 07:28 बजे · नापसंद करें ·

२० अगस्त २०११
अन्ना बस आवाज तू देना.
अन्ना बस आवाज तू देना..
हम सब तो आएंगे यूं ही

बीबी को बीमार छोडकर..
बच्चो को बेहाल छोडकर
सारे बन्धन गांठ खोलकर..
निकलेंगे हम घर से बाहर

सूरज की किरणो मे घुसकर..
कूद पडेंगे इस दिल्ली पर…..
अन्ना बस...

संविधान में सेंध लगा हॆ..
बट्मारो का पता चला हॆ
उन सबकी पहचान हुई हॆ..
जिनके मुंह में खून लगा हॆ

सूद खोर के कुतो के संग
अबकी रण मे होगी होली...
अन्ना बस...

20 अगस्त को 08:43 बजे · नापसंद करें ·

२० अगस्त २०११

नए नायको को जन्म देने के लिये ऎठ रही हॆ भारत माता की कोंख

...

आप अन्ना पर यकीन नही करते हो..कोई बात नही...

भूषणो पर यकीन नही करते हो...कोई बात नही....

भ्रष्टाचार का दीमक देश की जडों को खा रहा हॆ...

इस बात पर यकीन करते हॆ ये बडी बात हॆ...

भ्रष्टाचार का पोषण करने वाली सरकार अंग्रेजो की नीति

फ़ूट डालो ऒर शासन करो की लीक पर चलती हुई

इसे कमजोर करने की कोशिश कर रही हॆ..

.इस बात पर यकीन करते हॆ ये बडी बात हॆ...

१८५७ में बिहर के दानापुर मे जो सॆनिक विद्रोह हुआ था..

.वह अंग्रेजों के विरोध से अधिक

््चमडे के उस कारतूस के खिलाफ़ था जिसे दांत से खिंचना पड्ता था...

लेकिन उसने मंगल पांडे ऒर जाने कई नायक दिये....

ऒर अंत मे वह हूकूमत की जडो में मट्ठा साबित हुआ...

अतीत की अपनी ही गलतियो की दुहाई न दे..

हमारी पूंजी हॆ बेहतरी की उम्मीद

घडियो में वक्त बदल चुका हॆ..

.बद्ल चुकी हॆ कलेन्डर मे तारीख

अपने नए नायको को जन्म देने के लिये

ऎठ रही हॆ भारत माता की कोंख

By: Nilay Upadhyay

20 अगस्त को 13:25 बजे · पसंद करें · · साझा करें

२१ अगस्त २०११

कालू बोले

बाबा जाओ

शिविर लगाकर जोग सिखाओ

राजनीति हमको करने दो

कालू बोले

बहुत कर चुके तुम गुरुआई

लेकिन बात समझ ना आई

हमको अपना गुरू बनाओ

बेटी बोट हॆ जात की जन्नत

जाति वाद का बिगुल बजाओ

ऒर बदल लो अपनी किस्मत

अपराधी को यार बनाऒ

दो चार नरसंघार कराओ

पेट हिलाकर कुछ ना होगा

क्या खाके बीमार लडेंगे.....बाबा जाओ

चूहे जितना चीं चीं कर ले

असर ना होगा बिल्ली पर

जनता ने जिसे चुन कर भेजा

वे जाएंगे जेल के अन्दर

जाकर के अन्ना से कह दो

लोकपाल से कुछ ना होगा

स्टॆन्डिग कमेटी के हॆ मेंम्बर

साथ हमारे भाई समर हॆ,,

ऒर कॊन हॆ खबर तुम्हे हॆ

सांस फ़ुला के हम रख देंगे...बाबा जाओ

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२२ अगस्त २०११
आन्दोलन पर अरूंधती राय का क्मेंट पढ्ने के बाद

अरूंधती राय
पोलिटिकल आईटम गर्ल हॆ

किसी की य़ह बात मॆने तब सुनी थी
जब अरुंधती राय का काश्मीर पर बयान आया था...
लेकिन आज
मुझे भी उसकी बात समझ मे आ गई हॆ..
ऒर यह सच प्रतीत हो रहा हॆ....

22 अगस्त को 23:59 बजे · नापसंद करें ·

२३ अगस्त २०११
जनतंत्र
हो सकता हॆ
ये सांसद नही रहे.
.
ये संसद
ये कानुन नही रहे..
यह संविधान भी न रहे...
मगर
देश रहेगा....
जनता रहेगी....
जनतंत्र रहेगा....

23 अगस्त को 11:18 बजे · नापसंद करें ·

२४ अगस्त

जनता को शत शत नमन

मॆं बहुत दुखी था आज...

खाना खाने का मन नही था..

मगर पत्नी ने कहा तो

खा लिया..

मॆ नही चाहता था कि दिखू.

दुखी हूं ऒर नही दिखा...

मेरा दुख उपजा था अन्ना हजारे की उस आवाज से

कि नॊ दिन उपवास के बाद भी मॆ ठीक हू..

अभी ऒर नॊ दिन.

.मॆ रह सकता हूं ऎसे ही..

नॊ बजे मॆ घर से बाहर सड्क पर निकला..

ऒर लोगो से मिला..लोगो के चेहरे पर था मेरा दुख

ओर मॆ खुश हो गया.

सबका कहना था हम मालिक हॆ...

ऒर ये नॊकर..

नॊकरो की ये मजाल...नॊकरो के लिए

अभी ऒर कानून बनाने होंगे..

उनसे काम लेने..रखने ऒर हटाने के कानून

अब आराम से सोने जा रहा हूं...

इस देश की जनता को शत शत नमन

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२४ अगस्त
जगरम
झूठ बोलना
ऒर शातिरपना
कोई इन कांग्रेसियो से सीखे
पता नहीं ,
कल क्या होगा...
अन्ना का ऒर देश का
इन सवालो के कारन
नींद
नही आ रही
जगरम हॆ
आज पूरी रात

24 अगस्त को 23:21 बजे · नापसंद करें ·

२६ अगस्त
याद
संसद में
किसी कांग्रेसी नेता से पास बनवा
रोहतक का एक युवक संसद मे गया..
ऒर अन्ना के समर्थन मे
भारत माता की जय का नारा लगा दिया..
उसके साथ हुआ सलुक देख
आंख भर आई ऒर
संसद पर हमला करने वाले
उस आतंकी की याद आ गई..जिसके
फ़ांसी की सजा माफ़ करने की अपील
इनके द्वारा की गई थी..

शुक्रवार को 16:10 बजे · नापसंद करें ·

२७ अगस्त
आज सुवह से लगभग तीस साल पहले लिखी धूमिल की पंक्ति याद आ रही थी कि
इस देश में संसद
तेली की वह घानी हॆ..
जिसमे
आधा तेल हॆ
आधा पानी हॆ..
आज अगर वे जिन्दा होते तो क्या लिखते

शनिवार को 09:20 बजे · नापसंद करें ·

२७ अगस्त

हिटलर
शरद यादव
आज संसद में
जिस भाषा का प्रयोग कर रहे थे.
हमारा तो काम ही पगड़ी उछालना है ...
ऒर अन्ना तो बस १२ दिन से भूखे हैं..
तय कर दिया कि अनशन भले खतम हो जाय
ये लडाइ चलेगी...
मेरी सलाह हॆ कि उन्हे दूसरा काम ढूंढ्ना चाहिए
नही भूलना चाहिए कि
हिटलर भी संसदीय रास्ते से आया था।

शनिवार को 14:48 बजे · पसंद करें ·

२७ अगस्त

यह जीत

ये कोई

तुलना की जगह नही

तुलना की कोई वजह भी नही

मगर अन्ना का आन्दोलन ऒर अन्ना की जीत

महात्मा गांधी से बडी हॆ....

दुश्मन विदेशी हो तो

लडना आसान होता हॆ..घर के हो

तो पसीने छूट जाते हॆ....

अन्ना ने घर के दुश्मनो से ये लडाइ जीती हॆ

शनिवार को 22:37 बजे · नापसंद करें ·